Posts

Showing posts from 2022

ठिकाना ओगना

THIKANA--- OGNA (ओगणा) "ठिकाना:- ओगणा भोमेट" ठिकाना ओगणा मूल रूप से सोलंकी राजपूतों का ठिकाना हे , जो भोमट पानरवा के सोलंकी वंश की । पानरवा की भांति ओगणा गांव भी भोमट में वाकल नदी के बायें किनारे पर बसा हुआ है । वाकल गोगुंदा के पहाड़ों से निकलकर आती है । ओगणा कोटड़ा से उत्तर - पूर्व में 21 मील दूरी पर झाडोल से 17 मील दक्षिण में तथा गोगुन्दा से दक्षिण की ओर 24 मील दूरी पर है । वस्तुतः जब पानरवा ठिकाने का भोमट के वाकल क्षेत्र में विस्तार हुआ , तो इस क्षेत्र के उत्तरी भाग में ओगणा ठिकाना कायम हुआ । ओगणा के सामने का पहाड़ी भाग और नपीता के नाला सोलंकी ने अपने भाइयों सहित यादवों को निष्कासित करके 1478 ई . में पानरवा पर अधिकार ऐसा माना जाता है कि पानरवा के अक्षयराज के काल में ओगणा और उसके निकट ओगणा के सोलंकी एक शाखा के रूप में निकला । के ऊपर वाला पहाड़ी भाग खादरा के नाम से जाना जाता है । उसके पश्चिम की ओर का पहाटी भाग मकोड़िया कहलाता है । मेवाड़ के भोमट पहाड़ी प्रदेश में सिरोही की ओर से इस प्रदेश में प्रवेश कर के किया था । भोमट के पहाड़ी इलाके में आदिवासी भील लोगों को...

पानरवा के सोलंकी व भोमट के अन्य ठिकाने

#पानरवा के सोलंकी व भोमट के अन्य ठिकाने ----------- >>-------- भारत के उत्तरी पश्चिमी भाग से होने वाले विदेशी जातियों के अनवरत आक्रमणों के परिणामस्वरूप भारत के उत्तरी , मध्य एवं पश्चिमी भागों की शासक राजपूत जातियाँ अपने मूल स्थानों से निकल कर अपने लिये नये स्थान ढूढ़ने लगी । इसी प्रक्रिया के फलस्वरूप कतिपय राजपूतवंशी भोमट के इस घने दुर्गम पहाडी भाग में आये और धीरे - धीरे सम्पूर्ण इलाके को आपस में बांट लिया । आदिम सामाजिक व्यवस्था पर आधारित भील कबीलों को अधीन करने में उन्हें विशेष कठिनाई नहीं हुई । प्रारंभ में यदुवंशियों ने दक्षिण की ओर से इस इलाके में प्रवेश किया और वाकल नदी के किनारे पर स्थित पानरवा वाले अत्यन्त दुर्गम बनीय पहाडी भाग पर अपना वर्चस्व स्थापित किया उसके बाद दो चौहान खीची एवं सोनगरा राजपूतवंशी शाखाओं ने अलग - अलग समय में प्रवेश करके जवास एवं पहाड़ा तथा जूडा क्षेत्रों पर आना अधिकार जमा लिया । उनके बाद सिरोही की ओर से सोलकी राजपूतवंशियों ने इस इलाके में प्रवेश करके यदुवंशियों से पानरवा इलाका छीन लिया और उत्तर में ओगणा तक एवं पश्चिम में उमरिया तक अपना व...